Tuesday, June 25, 2013

दुष्टताले आफ्नो पकड कब शिथिल पार्नेछ यसको प्रतीक्षा नगरेर दुर्बलताको प्रायश्चित्त गर्ने साहस गर्नुपर्छ । –विचारसार एवं सूक्तिहरू

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  1. पीपल के वृक्ष के नीचे सायंकाल (प्रदोष काल) में दीपक जलाकर सात परिक्रमा करें और सात लड्डू कुत्ते को खिलाएं। इससे शनि ग्रह अनुकूल फल प्रदान करता है।
    भैंसा या घोड़े को शनिवार के दिन काला देसी चना खिलाने से भी शनि ग्रह अनुकूल होता है।
    जड़ी-बूटियों द्वारा भी शनि को अनुकूल किया जा सकता है। किसी भी शनिवार को जब पुष्य नक्षत्रा हो तो बिछुवा बूटी की जड़ एवं शमी (छोकर) की जड़ को काले-धागे में बांधकर दाहिनी भुजा में धारण करने से शनि का दुष्प्रभाव कम होने लगता है।
    किसी नौका के पेंदे वाली कील स्वयं खोज कर लायें या कहीं आपको मिल जाये तो उसे शनिवार के दिन स्वयं लुहार से मध्यमा उंगली के नाप के बराबर अपने सामने अंगूठी बनवाकर घर ले आयें। उसे साफ जल से धोकर कच्चे दूध में डुबोकर श्रद्धा से दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में धारण कर लें। इससे अविलम्ब लाभ मिलता है।
    साढ़ेसाती जनित कष्टों व बाधाओं के निवारण हेतु साढ़ेसाती पीड़ित व्यक्ति को शनिवार को व्रत रखना चाहिए। सूर्यास्त के बाद हनुमान जी का पूजन करके व्रत का पारण करना चाहिए। हनुमान जी के पूजन में सिंदूर, काले तिल का तेल, इसी का दीपक एवं लाल फूल मुख्य पूजा सामग्री हैं।
    शनिवार के दिन लोहे के बर्तन में तेल भरकर उसमें 7 दाने देशी चने के डाल दें, 7 दानें जौ के, 7 दानें काली उड़द एवं उसमें सवा रुपया रखकर अपना मुँह देखकर डाकौत को दान कर दें या शनि मंदिर में रख दें। यह उपाय सुबह 11.00 बजे तक ही अधिक फलदायी होता है।

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